अभिग्रह क्या है ?
उपवास के बाद या उपवास के बिना अपने अपने मन में भी निशाय कर लेना की अमुक बातो के मिलने पर ही पारणा या आहार
ग्रहण करूँगा – इस प्रकार की प्रतिज्ञा को अभिग्रह कहते है I अभिग्रह क विषय में प. पू. श्री आचर्य भगवंत ने ” अणु स्तोक संग्रह ” में पाठ २० “प्रख्यान आवश्यक का थाकोड़ा” में पेज १२३ पर लिखा है –

१. सावधि – सावधि का अर्थ है अमुक समय में मेरा अभिग्रह जाये तो ठीक नहीं तो में दो या या तीन पोरसी बाद पारणा कर लूंगा वर्ना उपवास.
२. निरावधि – निरवधि अर्थात जहां तक अभिग्रह नहीं फले वहां तक आहार नहीं करना जैसे भगवान महावीर ने ६ माह ५ दिन तक आहार नहीं किया , उसने कोई अवधि नहीं बंधी थी I वैसे रोडजी स्वामी ने वेणीचंदजी जी म. सा . के .